सोमवार, जनवरी 14, 2008

सुर ना सजे .....




संगीत सम्राट मन्ना डे के सुमधुर स्वर में यह अद्भुत रचना, "बसंत बहार" से है। ज़रा इसके प्रारम्भ में जो आलाप है, उसे सुनिये, यह मन्ना डे की गायकी का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह आलाप मन को झकझोड कर रख देता है। आँखों से बरबस ही अश्रु-धार प्रवािहत होने लगती है। यह गीत इतना उत्तम है कि किसी को भी मंत्र मुग्ध कर देता है। यह गीत सीधे आत्मा को गदगद करने में सक्षम है।
मन्र डे की आवाज़ में जो एक कम्पन है वह इस गीत की जान है एवम् मन में करुणा का भाव उत्पन्न करती है। इस प्रकार के गीतों को गाने में मन्ना डे का कोई सानी नहीं।



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